भगवान का पुत्रः क्रूसारोही मानव−पुत्र

October 1974

Read Scan Version
<<   |   <  | |   >   |   >>

मैं तुमसे कहता हूँ, अपने जीवन की चिन्ता न करो, मत सोचो कि तुम क्या खाओगे और क्या पियोगे? मत सोचो कि तुम अपने शरीर पर क्या पहनोगे। क्या जीवन भोजन से अधिक नहीं है? क्या शरीर वसन से अधिक नहीं है?

अरे, इन हवा के पंखियों को तो देखो, न तो ये बीज बोते हैं, न फसल काटते हैं, न खलिहान में धान जमा करते हैं; फिर भी तुम्हारे स्वर्गीय परम पिता उनका पोषण करते हैं। ओरे मानवो, क्या तुम उन पंखियों से बेहतर नहीं हो?

अरे कौन है तुम में ऐसा, जो अपने जीवन का सोच−विचार करके भी, अपने जीवन की स्थिति एक अणु भर भी बढ़ाने या घटाने में समर्थ हो सका है?

इसी से कहता हूँ, कि इस चिन्ता में न पड़ो, कि हम क्या खायेंगे? हम क्या पियेंगे? हमारे तन को ढकने को वस्त्र कहाँ से आयेगा? क्योंकि अश्रद्धालु जन ही इन चीजों के पीछे जाते हैं। जान लो, कि तुम्हारे स्वर्गीय परम पिता अच्छी तरह जानते हैं, कि तुम्हें इन चीजों की जरूरत है।

मैं कहता हूँ, कि पहले तुम भगवान के राज्य को खोजा, उनकी सत्याचरण की राह पर चलो और तुम्हारी आवश्यकता की ये सारी चीजें आपोआप ही तुम्हारे पास चली आयेगी।

इसीसे मैं कहता हूँ, कि आने वाले कल की चिन्ता में न पड़ो, क्योंकि वह कल स्वयं अपने साथ आने वाली चीजों की चिन्ता करेगा।

—महाप्रभु ईसा का एक प्रवचन (बाइबिल से)


<<   |   <  | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118