Unknown column 'navbar' in 'where clause' वेदों का शंख नाद - Akhandjyoti May 1953 :: (All World Gayatri Pariwar)

वेदों का शंख नाद

May 1953

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इच्छन्ति देवाः सुन्वन्तं, न स्वप्नाय स्पृहयन्ति। येन्ति प्रमादमतन्द्राः। (ऋग्वेद 8.2.18)

जो व्यक्ति जाग कर शुभ कर्मों में लगता है उसी को देवता चाहते है, सोये पड़े रहने वाले से वे प्रीत नहीं करते। अच्छी तरह समझ लो, प्रमादी की कोई मदद नहीं करता।

यो जागार तमृचः कामयन्ते, यो जागार तमु सामानि यन्ति। यो जागार तमयं सोम श्राह, तवाहमस्मि सख्ये न्योकाः॥

ऋग्वेद 05.44.14

जो जागा हुआ है वही ऋचाओं से कुछ लाभ ले सकता है, जो जागा हुआ है उसी की साम वेद के मंत्र सहायता करते हैं। जो जागा हुआ है उसी के आगे चाँद मैत्री के लिए हाथ पसारता है! उसी की यह सारी प्रकृति दासी बनती है, जो जागा हुआ है, इसलिये-

उत्तिष्ठ ब्रह्मणस्पते देवान यज्ञेन बोधय।

आयुः प्राणं प्रजाँ पशून् कीर्ति यजमानं च वर्धय॥

अथर्व वेद 19.31.1

उठ खड़ा हो, जाग जा, ऐ ज्ञानी! यज्ञ द्वारा अपने अन्दर देव-भावों को जगा ले। अपनी आयु को, प्राण को, प्रज्ञा को, कीर्ति को बढ़ा, पशुओं की बढ़ा, यज्ञ करने वाले को बढ़ा।

कृतं में दक्षिणे हस्ते, जयो में सव्य आहितः।

गोजिद् भूयासमश्वजिद् धनंजयो हिरण्यजित॥

अथर्व वेद 7.50.8

मैं हाथ पर हाथ धरकर बैठने वाला नहीं हूं। मेरे दाहिने हाथ में कर्म है और बाँये हाथ में विजय धरी है। इस कर्म रूपी जादू की छड़ी हाथ में लेते ही गौ, घोड़े, धन-धान्य, सोना-चाँदी जो चाहूँगा सो मेरे आगे हाथ बाँधकर खड़ा हो जायेगा।

सूर्यो में चक्षुर्वातः प्राणोऽन्तरिक्षमात्मा पृथिवी शरीरम्।

अस्तृतो नामाहमयमास्म॥

(अथर्व वेद 59-7)

यह मेरी देखने में छोटी-सी लगने वाली आँख शक्ति में छोटी नहीं, किन्तु सूर्य के बराबर है। मेरी प्राण-शक्ति का अंदाजा लगाना हो तो इस अपार वायुमण्डल से लगा लो। मेरे शरीर के मध्य भाग की तुलना अंतरिक्ष से कर सकोगे। और मेरा यह छोटे से कद वाला शरीर देखने में छोटा होता हुआ भी शक्ति में छोटा नहीं, किन्तु समूची पृथ्वी के बराबर है। मैं अनीश्वर हूँ, किसी के मारे मर नहीं सकता।

उत्क्रामातः पुरुष माव पत्था,

मृत्योः षड्वीशमवमुँचमानः॥

अथर्व वेद 8-1-4

ए नर! उन्नति कर, अवनत मत हो, मौत की बेड़ी को काट डाल।

वर्ष-13 सम्पादक -आचार्य श्रीराम शर्मा अंक-5


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