गायत्री प्रेमियों को कुछ आवश्यक सूचनायें

May 1951

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(1) अखंड ज्योति का जुलाई अंक ‘गायत्री अंक होगा। उसके मुखपृष्ठ पर तिरंगा अत्यन्त चित्ताकर्षक गायत्री का सुन्दर चित्र आर्ट पेपर पर छपा हुआ होगा पृष्ठ संख्या भी साधारण अंक से ड्योढ़ी होगी, पाठ्य सामग्री अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। गायत्री विद्या के रहस्यपूर्ण तथ्यों को इसमें सरल, सारगर्भित एवं अनुभव के आधार पर उपस्थित किया जायेगा।

(2) यह अंक उतना ही छपेगा जितना कि अखंड ज्योति के स्थायी ग्राहक है। इसलिये नये ग्राहकों को अंक प्रकाशित होने से पूर्व ही अपना चन्दा भेज देना चाहिए। जो लोग चन्दा भेजने में पिछड़ जायेंगे वे यह अंक प्राप्त न कर सकेंगे।

(3) गायत्री अंक के लिये अपने अनुभव और लेख जिन्हें भेजने हों वे शीघ्र ही भेज दें। किन्हीं सफल गायत्री साधकों को वृत्तान्त एवं चरित्र भी यदि विदित हों तो उनको भी छपने के लिये भेजने की पाठकों से प्रार्थना है।

(4) अखंड ज्योति साइज में गायत्री के तिरंगे चित्र, आर्ट पेपर पर छपाये गये है। इनका मूल्य प्रति चित्र है।

(5) गायत्री विद्या का अधिकाधिक प्रचार करने तथा गायत्री उपासकों का एक व्यापक परिवार बनाने के लिए अखंड ज्योति के तत्वाधान में अखिल भारतीय गायत्री संस्था की स्थापना की गई है। इसकी सदस्यता की कोई फीस नहीं है। (अ) जिनने गायत्री संबंधी आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने लिये गायत्री महाविज्ञान के तीनों खंड माँग लिये है, तथा गायत्री के प्रति जिनको श्रद्धा है वे इस संगठन के सदस्य बन सकते हैं। सदस्यता के फार्म बिना मूल्य मँगाये जा सकते हैं।

(6) अखंड ज्योति से जितना गायत्री साहित्य प्रकाशित हुआ है, वह सब गायत्री संस्था के लिए हैं इस साहित्य की बिक्री से लाभ होगा वह गायत्री प्रचार, गायत्री तप, यज्ञ, सत्र पुरश्चरण, उपासना, पाठ, संस्कार, जप, शिक्षा आदि पुण्य आयोजनों में ही व्यय होगा ।

(7) जेष्ठ सुदी 10 (गंगा दशहरा) गायत्री जयन्ती का पुण्य पर्व है। इस शुभ अवसर पर गायत्री प्रेमियों को यथा शक्त्िव्रत, उपवास, जप, यज्ञ, तथा गायत्री साहित्य का वितरण आदि के पुण्य आयोजन करने चाहिये।

(8) सर्व शक्तिमान गायत्री नामक एक अत्यंत सस्ती प्रचार पुस्तिका छापी गई हैं जिसमें 24 पृष्ठ है और मूल्य दो आना मात्र है । यह धर्मार्थ वितरण करने योग्य है। जो सज्जन इसे छः रुपये से अधिक की मँगवायेगा उनका नाम पता तथा वितरण का उद्देश्य मुख पुष्ट पर छाप कर भेजा जायगा।

(9) गायत्री महाविज्ञान तीनों भाग के कुछ आवश्यक अंश अलग छाप लिये गये हैं। जिनका नाम (1)गायत्री ही कामधेनु है। (2) वेद शास्त्रों का निचाढ़ गायत्री (3) गायत्री की सर्व सुलभ साधनाएँ (3) गायत्री का वैज्ञानिक आधार (4) अनादि गुरु मन्त्र गायत्री है इनके अतिरिक्त (1) गायत्री के चौदह रत्न प्रथम भाग (2) गायत्री के चौदह रत्न द्वितीय भाग (3) विपत्ति निवारिणी गायत्री , यह तीन पुस्तकें अलग है इनकी पाठ्य सामग्री तीन बड़े ग्रन्थों से अलग है । जिन्होंने गायत्री महाविज्ञान के तीनों भाग मँगा लिये हैं। उन्हें भी इन पिछली तीन पुस्तकों को मँगाना चाहिए। छोटी 5+3 इन आठों पुस्तकों का मूल्य आना है ।

(10) अपने निज के तथा अनेक सहचरों के अनुभवों तथा शास्त्र वचनों के आधार पर हमारा विश्वास दिन-दिन अधिक सुदृढ़ होता जाता है कि गायत्री उपासना मानव जीवन को सात्विकता एवं सुख शान्ति की ओर ले जाती है। पाठको से प्रार्थना है कि वे प्रयोग कर परीक्षण के रूप में ही सही कुछ दिन इस महामंत्र की उपासना करके देखें। आशा की जाती है कि उन्हें भी शान्तिदायक अनुभव होंगे।

(11) गायत्री संबंधी परामर्शों के लिए जवाबी पत्र भेजना आवश्यक हैं।

-श्रीराम शर्मा आचार्य

“अखंड ज्योति” कार्यालय मथुरा

(देश देशान्तरों से प्रचारित, उच्च कोटि की आध्यात्मिक मासिक पत्रिका)

वार्षिक मूल्य 2॥) सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य एक अंक का।)


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