गायत्री-महाविज्ञान के पाँच अनुपम ग्रन्थ रत्न।

April 1950

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(1) गायत्री विज्ञान- गायत्री शक्ति का वैज्ञानिक विवेचन तथा परिचय, गायत्री की सरल, सुबोध एवं नित्य करने योग्य साधनाओं का वर्णन, गायत्री उपासना से होने वाले चमत्कारी लाभों की विवेचना इस पुस्तक में बड़े विस्तार से की गई है। गायत्री संध्या- गायत्री अनुष्ठान तथा गायत्री यज्ञ की विधियाँ भली प्रकार समझाई गई हैं। मूल्य 2 रु 0/

(2) गायत्री रहस्य- गायत्री मन्त्र के चौबीसों अक्षरों की ऐसी विस्तृत व्याख्या, विवेचना एवं मीमाँसा की गई है कि उनके गर्भ में छिपे हुये ज्ञान भंडार का परिचय भली प्रकार प्राप्त हो जाता है। अनेकों ऋषियों ने, शास्त्रों में, वेद भाष्यकारों ने, राक्षस राज रावण ने गायत्री के जो विभिन्न अर्थ किये हैं वे सब भी इस पुस्तक में मौजूद हैं। मूल्य 2 रु 0/

(3) गायत्री के अनुभव- वेद, शास्त्र, पुराण, स्मृति, उपनिषद् आदि में वर्णित गायत्री की महिमा तथा प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के महापुरुषों ने गायत्री के संबंध में जो आपने अनुभव और अभिमत प्रकट की हैं उन सबका इस पुस्तक में वर्णन है। साथ ही अनेक साधकों ने गायत्री की उपासना करके जो अद्भुत लाभ प्राप्त किये है, उनके स्वयं बताये हुए वर्णन भी दिये गये है। मूल्य 2 रु 0/

(4) गायत्री मन्त्र- गायत्री मन्त्र को ‘मन्त्र राज’ कहा है। उससे बड़ा कोई मन्त्र नहीं है। जो कार्य संसार के अन्य किसी भी मन्त्र से हो सकता है वह गायत्री मन्त्र से भी हो सकता है। इस पुस्तक में दक्षिण मार्गी वेदोक्त, तथा वाम मार्गी तंत्रोक्त दोनों प्रकार की विस्तृत विधियाँ बताई गई हैं जिनके द्वारा सात्विक, राजस और तामसिक तीनों ही प्रकार के लाभ उठाये जा सकते हैं। पुरश्चरण, अभिचार, कवच कीलक, मारण, सम्मोहन आदि सभी साधनाओं का पथ प्रदर्शन किया गया है। मूल्य 2 रु 0/

(5) गायत्री योग- गायत्री द्वारा 12 योगों की साधना हो सकती है। प्रणव योग, विश्वयोग, ध्यान योग, सूर्ययोग, प्रणवयोग, दिव्ययोग, विभुयोग, विज्ञान योग, लययोग, नाद योग, षट्चक्रयोग, ग्रन्थियोग इन बारह योगों की मीमाँसा तथा उनकी साधना विधि भली प्रकार बताई गई है। इस पुस्तक के द्वारा गृहस्थ व्यक्ति भी योगी बन सकता है। मूल्य 2 रु 0/

108 गायत्री सेट कम मूल्य में

इस मास चैत्र की नवदुर्गाओं में एक गायत्री उपासक (जिसने अपना नाम छापने की मनाई कर दी है) ने अपनी विशेष कामना पूर्ति के उपलक्ष्य में गायत्री पुरश्चरण किया है। तथा 324 रु 0/ अखण्ड ज्योति कार्यालय को इस लिए भेजे हैं कि गायत्री के अमूल्य 5 ग्रन्थ रत्न 10 रु 0/ के स्थान पर 7 रु 0/ में 108 सज्जनों को दिये जायं। पिछली बार की भाँति एक मास के भीतर ही वह सुविधा समाप्त हो जाने की संभावना है। इसलिए जो सज्जन इस सुविधा से लाभ उठाना चाहे शीघ्र ही पुस्तक मँगा लें।

जिनके पास गायत्री के अधूरे सेट हैं वे सज्जन भी शेष पुस्तकें इसी सुविधा के अनुसार (प्रति पुस्तक 1 रु 0/ के हिसाब से) मँगा सकते हैं। पर यह ध्यान रहे 6 रु 0/ से कम की पुस्तकें लेने वाले को डाक खर्च भी देना पड़ता है।

व्यवस्थापक-

‘अखण्ड ज्योति’ कार्यालय, मथुरा।

(देश देशान्तरों से प्रचारित, उच्च कोटि की आध्यात्मिक मासिक पत्रिका)

वार्षिक मूल्य 2॥) एक अंक का।)

सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य


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