अधिकार पाकर उनका दुरुपयोग या अन्याय करना ही परीक्षा में असफल होना है और अनेक कष्टों और कठिनाईयों के पड़ने पर भी अपने धर्म और न्याय पर भी डटे रहना परीक्षा में सफल होना है।
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यदि तुम्हारा प्रेम किसी से भी साँसारिक स्वार्थ और वासना रहित है, तो तुम्हें शान्ति ही शान्ति, आनन्द ही आनन्द मिलेगा और यदि उसमें स्वार्थ और वासना ही प्रधान है तो कोई भी शक्ति तुम्हें दुखी होने से नहीं रोक सकती।