वृक्षों से मनुष्य जाति को इतने लाभ हैं जिनकी कुछ शुमार नहीं। अगले किसी अंक में उन लाभों के ऊपर विस्तार सहित प्रकाश डालेंगे। वृक्षों की लकड़ी जलाने और विविध प्रकार की वस्तुयें बनाने के काम आती हैं। फल मनुष्य का सर्वोत्तम भोजन है वह भी वृक्षों से प्राप्त होता है। पत्ते जमीन पर गिरकर खाद बनते और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। वृक्षों की आकर्षक विद्युत से वर्षा अधिक होती है। जहाँ वृक्ष अधिक होंगे वहीं अपेक्षाकृत पानी भी अधिक बरसेगा। पेड़ कार्बोनिक गैस (दूषित वायु) को खाते हैं और ऑक्सीजन (प्राण प्रद वायु) को निकालते हैं। जिससे वायुशोधन में एक प्रकार से हवन के समान फल होता है। स्वास्थ्य के लिए बगीचों की वायु कितनी लाभप्रद है इसे अब सब लोग जानते हैं। हरियाली से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। पुष्पों से चित्र के समान नयनाभिराम सुन्दरता दिखाई देती है। इसके अतिरिक्त और भी असंख्य लाभ हैं। इसीलिए शास्त्रों में वृक्ष लगाने का बड़ा भारी पुण्य फल कहा गया है। तुलसी के लाभों के सम्बन्ध में तो हम स्वतन्त्र रूप से एक पुस्तक ही लिख चुके हैं।
अब वर्षा ऋतु है। अखंड ज्योति के पाठकों को फलदार वृक्ष तथा छायादार बड़े बड़े वृक्ष लगाने के लिए जितना संभव हो उतना प्रयत्न करना चाहिए। फूलदार पौधे घर के आँगन में, गमलों में, खेतों की मेड़ों पर लगवाने चाहिए। तुलसी को घर घर में पहुँचवाना तो धार्मिक पुण्य भी है। बीज बाँटना, पौधे उगाकर बाँटना, वृक्ष लगाने का प्रचार करना, उनके लाभों को सविस्तार समझाना, पेड़ लगाने में खुद क्रियात्मक सहयोग देना, यह एक सामयिक परमार्थ है। वर्षा ऋतु इसके लिए उचित और उपयुक्त समय है। इस मार्ग में जिससे जितना बन सके उतना पैसा और समय खर्च करना चाहिए।
महर्षि पाराशर का मत है कि-”दश कूप समोवापी दश वापी समो ह्नदः। दश हृद समः पुत्रः दश पुत्र समों द्रुमः”।
अर्थात् दस कुँए बनवाने के समान एक बावड़ी बनवाने का पुण्य होता है। दस बावड़ी बनवाने के समान एक तालाब का फल होता है। दस तालाब के समान एक सत्पुत्र उत्पन्न करने का फल है और दस सत्पुत्रों के बराबर एक वृक्ष लगाने का फल है। इस पुण्य फल को ध्यान में रखते हुए इस वर्षा ऋतु में थोड़े बहुत वृक्ष अवश्य लगाने चाहिए।
कर्मयोग सत्संग
गत मास की अखंडज्योति में 25 जुलाई (नाग पंचमी) से लेकर 4 अगस्त (सावन सुदी 15) तक के 11 दिन के कर्मयोग सत्संग की सूचना छपी थी। तदनुसार अनेक महानुभावों के आगमन की सूचनाएं आ चुकी हैं। जिन्हें आना हो वे पूर्व सूचना हमें अवश्य भेज दें। जिससे उनके ठहरने और खाने पीने की व्यवस्था में सहयोग दिया जा सके। तारीख और ट्रेन की सूचना होने पर हमारा आदमी स्टेशन पर जाकर उन्हें ला सकता है।
-मैनेजर ‘अखण्ड ज्योति’, मथुरा।